बनाईं मुझ बे नवा ले बिगड़ी
नसीब मेरा जगा दिया
तेरे करम के निसार तूने
मुझे भी जीना सीखा दिया
बदल गई मेरे दिल की दुनिया
अता ने वो मेरतवा दिया
करम की ऐसी निगाह डाली
गदा को सुलतान बना दिया
करम के साये में हमको रखा
कभी हरासा ना हम हुए
हमारे सर पे जो धूप आई
तो अपना दामन बड़ा दिया
ये इनकी बंद नवाजियां है
कि मुझपे ऐसा करम किया
बना के अपना वज़ीर मुझको
गम-ए-जहां से छुड़ा लिया