हम्द-ओ-सना यीशु तेरी
हर पल करे जुबां मेरी
तालियां बजाके गाये मीठे सुरों में गाएं
गाए यीशु की मदह
होसन्ना…
तेरी सिताइश के नगमे हवाओं में
तेरी सिताईश के नगमे फिजाओं में
होसन्ना…
बारिश को कतरों में तकसीम करता, कैसा हुनर वर है वो
शाखों की झोली को फूलो से भरना, कैसा हुनर वर है वो
तेरी सिताइश हम पर है वाजिब
करते रहेंगे सन्ना
होसन्ना…
आंखों में बुनाई जो है उतरे उसकी परस्तीश करे
बन दे के जिसको मुक्कदर सवारे ,उसकी परस्तिश करें
वो ही मदह से लायक हमेशा
हर पल ही उसकी मदह
होसन्ना…
मैं तेरी खिदमत करू मेरे यीशु ,मूजो के इरफान में
हर लफ्ज़ तेरी सिताईश के बोलूं, और का वो वरदान दे
मेरे लबों पे हर पल है नाजिश, मेरे मसीह की सन्ना
होसन्ना…