हम्द तेरी नासरी मैं, हर तरह से गाऊंगा
साजों पे भी बरमला ,गीत गाता जाऊंगा
तारीफ और तमजीद के,कामिल हैं तू ही ए खुदा
सजदों के लायक भी है, खुदा का बर्रा तेरा
मै दुआ के वास्ते , हाथों को भी उठाऊंगा
शादमानी की रागनी ,जब छिड़ती है दिल मे मेरे
तख्त नशी तब नासरी को देखती है सामने
कोई बिछे या ना बिछे, मैं कदमों में बिछ जाऊंगा
है रागनी तेरी सारी, खूबियां मैं क्या करूं
लोगों पे बयान करूँ, सिफ़्त तेरी हर किसी को
चारों जहां में सुनाऊंगा