इब्न -ए- खुदा नाल होइया मुलाकातां
मुक गईया ने अज गमां दिया रातां
रहम दीयां होईयां बरसातां ,मुक गईयां ने अज गमां दियां रातां
चन्द्रा गुनाह मैनू घुण वांगु खा गया सी
जिंदड़ी मलुक मेरी दुखां विच पा गया सी
मैं गुनाहगार था बेअमल था मगर
मेरे रब्ब ने मुझे जन्नती कर दिया
मालिक ने मुझको मेरी तरफ से सिला दिया
सरमायेदार इशक-ए-मसीह बना दिया
तेरी आशिकी से पहले मुझे कोन जानता था
मोहब्बते मसीह से पहले मैं कुछ नही था
में कुछ नहीं था,में कुछ नही था