जिंद क्यों न मसीह तों वारां
मैं जिंद क्यों न मसीह तों वारां
सदा ना बागी बुलबुल बोले
सदा ना रहन्दी ऐश बहारा
जिंद क्यों न मसीह तों वारां …..
सदा ना रहन्दी हुसन जवानी
सदा ना रहन्दी संगत यारां
जिंद क्यों न मसीह तों वारां …..
चार भाईयां दे कन्धे चड़ियों
लै चल्ले ने विच्च उजाड़ां
जिंद क्यों न मसीह तों वारां …..
मिट्टी ओड़ना मिट्टी बिछौनां
मिट्टी दा सिरहाणा
जिंद क्यों न मसीह तों वारां …..
जिहनां लई तूं पाप कमाये
नाल किसे नही ओ जाणा
जिंद क्यों न मसीह तों वारां …..
एह दुनियां चार दिहाड़े
बैठ किसे नही ओ रहना
जिंद क्यों न मसीह तों वारां …..