वो नज़ारे सलाम करते हैं चाँद तारे सलाम करते हैं
मेरे येसु का दर्जा अव्वल है जिसको सारे सलाम करते हैं
कहे फ़रिश्ता सलाम ए मरियम
ख़ुदा से तुझको पैग़ाम आया
सवाल मरियम ये पूछती है
ये कैसा मुझको सलाम आया
अजीब होगा मुशीर होगा
सलामती का अमाम होगा
के जिसके कांधे पे सलतनत है
फलक से शाह ए जहां आया
इलाका ए बेतलेहम के लोगो
येरुशलम के पनाहगारों
जो बादशाहत है आसमान की
ज़मीन पे ऐसा नज़ाम आया
रहीम वो है करीम वो है
सलीम वो है अज़ीम वो है
गुनहगारों का जो मसीहा
ख़ुदा मुजस्सम कलाम आया
ये जान मेरी करे सितायिश
ये रूह मुनज़्ज़ी खुदा से खुश है
जलाल ए रेहमत खुदा ए क़ादिर
का आज मेरे ही नाम आया
जो इब्तिदा है जो इंतिहा है
जो राह ए हक़ है और ज़िन्दगी है
बनाये आलम से पेशतर था
कलाम आया कलाम आया
कलाम ए उल्फत कलाम ए हक़ है
कलाम ए अज़दा कलाम ए अतलाह
हुआ मुजस्सम हमारी खातिर
खुदा हमारी ही काम आया
सलाम जैसे गुनहगारों
गुनाह अपने क़बूल करलो
गुनाह अपने क़बूल करने
सलाम आया सलाम आया
मुबारक वो रात थी नूर की बरसात थी
मुलाकातें मुलाकातें फरिश्तों का यूँही ऐसे जुरमत हो नहीं सकता