खाली बर्तन तेल से भरदे
रूह के खज़ानों का मुझे अजर दे
तेल से भर…
मिन्नत करुँ मैं धो दे लहू से
ता कि जगह और खाली हो
दिल में धड़कन अपना डर दे
रूह के खजानों……
सफ़र ये दुनियां का चंद रोज़ा
हस हस इस से गुजरता है
तू ही मसकन अब्दी वो घर दे
रूह के खजानों……
देश बेगाना परदेसी हूं
वापिस घर को लौटेंगे
कर ना ओझल अपनी नजर से
रूह के खजानों……