ये ज़मीन बनाई तूने है आसमान बनाया
और गहरे पानियों पे था तेरे रूह का साया
ए मेरे किब्रिया मेरे खुदा
तू है सबसे जुदा मेरे खुदा
नाम लू तेरा मैं सदा
खुदा….. मेरे खुदा…
हो जा रोशनी तूने कह दिया खुदा..
तारिकी से तूने उसे फिर किया जुदा…..
फिर शाम हुई, मेरे खुदा…
फिर सुबह हुई ..मेरे खुदा…
पानीयों को तूने फिर किया जुदा
उनके दर्मियां को आसमान कहा
इक आबे-ए-ज़मीन ,
इक आबे-ए-बाला
दूजा दिन हुआ खुदा
पानीयों को तूने इक जगह किया जमां
सूखा था जो इक तरफ उसको ज़मीन कहा
गुल शजर बने .. मेरे खुदा…
फलदार बने मेरे खुदा…
हो गया हराभरा….खुदा…
आसमान मे तूने नूर दो बनाए
आफताब दिन मे चाँद रात मे है आए
इक हाकिम-ए-दिन,
मेरे खुदा…
हाकिम-ए-रात.. मेरे खुदा…
अरश तारों से भरा हुआ
पानीयों मे मछलियों को पैदा कर दिया,
पंछियों से आसमान को तूने भर दिया,
पानीयों मे रहें…
मेरे खुदा…
और हवा मे उड़े…
मेरे खुदा…
करते रहते है सना….
हर किस्म के जानदार ज़मीन पे चल रहे,
हुक्म-ए-खुदा से जानदार पल रहे रहे,
आओ हम मिलके आदम हवा बनाये
खाक में फूंके दम और उन्हें सजाएं
दे के अपनी शबीह,
दे के अपनी सूरत…
जिंदगी का दम फूंका