कितनी प्यारी मुक़द्दस हसीन रात है
आदमी से ख़ुदा की मुलाक़ात है
इक सितारा है पूरब में जिसका निशान
आज चरनी में आया है शाह -ए -ज़मां
हर मजूसी के हाथों में सौगात है
आदमी से ख़ुदा की मुलाक़ात है
मुन्तज़िर थे ज़माने तेरी ईद के
मिल गए हैं बहाने तेरी दीद के
हुई पूरी नबुव्वत की हर बात है
आदमी से ख़ुदा की मुलाक़ात है
अंबिया के मुकम्मल नविश्ते हुए
नगमाज़न आसमां पर फ़रिश्ते हुए
हर ज़ुबाँ और लब पर तेरी बात है
आदमी से ख़ुदा की मुलाक़ात है
तेरे आने से हरसू उजाला हुआ
आज इंसान का बोल बाला हुआ
सबसे आला -ओ- अफ़ज़ल तेरी ज़ात है
आदमी से ख़ुदा की मुलाक़ात है
तेरी ख़ुश्बू मुअत्त फ़िज़ाओं में है
तेरी तारीफ़ मीठी हवाओं में है
तेरे हमराह तारों की बारात है
आदमी से ख़ुदा की मुलाक़ात है