क्यूं गुम है तू हैरान है क्यूं इन मसलों में परेशान है क्यूं
मसलों को मसला है जिसने वो तुझको बुलाये दूर है क्यूं
तेरे बोझों को जिसने ख़त्म किया
तेरे हर पाप का प्याला पिया
छू उसको छू हैरान है क्यूं
इन मसलों में परेशान है क्यूं
क्यूं गुम है तू हैरान है क्यूं……..
तेरे दिल की बातें जानता वो
तेरी हर राह को पहचानता वो
वो तेरे रूबरू हैरान है क्यूं
इन मसलों में परेशान है क्यूं
क्यूं गुम है तू हैरान है क्यूं……..
क्यूं मस्त है तू अपनी धुन में
सुन सच्चाई की राह चुन ले
कहता पाक रूह हैरान है क्यूं
इन मसलों में परेशान है क्यूं
क्यूं गुम है तू हैरान है क्यूं……..