लहू जो बहता गया, पापों को धोता गया
उसकी बली से तेरा मेरा जीवन बचाया गया
लहू…
यह कैसे रिश्ते उसने निभाये
दुख उसने ऐसे नयोकर उठाये
कोड़े वो खाता गया पापों को धोता गया
उसकी बली…
पाप हमारे थे हम भी पापी
मौत सही उसने बन कर शाफ़ी
पसली से लहू बहा पापों को धोता गया
उसकी बली…….
सलीब पे उसको सब ना चढाओं
घावों को उसके अब ना दुखाओं
आंँसू जो पीता गया पापों को धोता गया
उसकी बली…..
भर क्यों आई आंँखे तुम्हारी
सुन कर के बाते आज हमारी
जो उसके पास आ गया
पापों को धोता गया
उसकी बली……