मैं खुदा की सना गाऊंगा
हम्द उसकी किये जाऊंगा
मैं फ़तेह याब हूँ बर सर-ए -आब हूँ
वो है बख़शिश मेरी वो मेरा भाग है
वो मेरा ज़ोर है वो मेरा राग है
उसकी ताज़ीम लब पर सदा लाऊंगा
वो है मेरा खुदा मेरे अजदाद का
मुनसिफ-ए-मोहतरम,रब्ब -ए इकराम भी
साहिब-ए-जंग भी साहिब-ए -नाम भी
ज़िक्र उसकी बज़ुर्गी का दोहराऊंगा
पानियों का गज़ब ,डूबने का सबब
सिपह-ए-फिरोन में जो भी सरदार थे
देखते देखते गरक़-ए- दरया हुए
क़ुदरत-ए-रब्ब -ए आलम पे इतराऊंगा
नादिर मेरा सरमाया-ए-जान सब उसके लिए
दिल उसके लिए है और जुबां उसके लिए है
बहर जब जम गया,क़हर जब थम गया
सब फनाह हो गए ,हम्द उस ज़ात को
इबरतों से भरी नादिर आयात को
जीत के मुस्तकिल रंग पहनाउंगा