मैंने कहा कैसे तुझे मैं बताऊँ
मैं तुझसे प्यार करता हूँ
बोले येसु आ अपने जख्म दिखाऊँ
मैं तुझपे मरता हूँ
प्यार मेरा है अज़ीब इश्क़ मेरा है मुहीब
हूँ मैं तेरे क़रीब साँस से भी करीब
मैंने कहा…….
देखा उसे चुप रह गया तालू से चिपकी जुबान
दौड़ी लहर जान में छूने की क़ूवत कहाँ
वो कोड़े मेरी शिफा के लिए थे
वो कांटे मेरी बका के लिए थे
है वो कितना करीब साँस से भी करीब
मैंने कहा ……
रुक वो गया रुक मैं गया उसकी अजब शान थी
प्यार भरी आँखें थी यही तो पहचान थी
वो आँखें प्यार की है कहानी
वो कीलें देती हमें जिन्दगानी
है वो कितना करीब साँस से भी करीब
आगया वो करीब साँस से भी करीब
मैंने कहा ……