मेरी रूह खुदा की प्यासी है मेरी रूह
जैसे हिरनी पानी के नालो को तरसती है
मेरी रूह….
मेरी रूह खुदा की प्यासी है
रात और दिन आंसू बहते हैं
दुनिया वाले सब कहते हैं
है कौन कहाँ है तेरा खुदा
क्यों है इतना बेचैन ये दिल
क्यों जान ये गिरती जाती है
होगा किस दिन दीदार तेरा
कब होगा मिलना रूबरू
मेरी रूह….
मेरी रूह खुदा की प्यासी है
यरदां की ज़मीन से गाऊँगा
कोहे मिज़गार से गाऊँगा
गहराओं से गहराओं तक
रात दिन होगा तेरा करम
मैं गीत दुआ के गाऊँगा
वो मुझ पे करे अपनी रहमत
है मेरी बस ये आरज़ू
मेरी रूह….
मेरी रूह खुदा की प्यासी है
दुश्मन की मलामत पीर सी है
क्यों उसके जुल्म का शोक करू
चट्टान है मेरी मेरा खुदा
वो मुझ से ये हरदम कहते है
है कौन कहाँ है तेरा खुदा
होगा किस दिन दीदार तेरा
मेरे टूटे दिल की आस है तू
मेरी रूह….
मेरी रूह खुदा की प्यासी है