Prastish Ke Fulon – परस्तिश के फूलों

परस्तिश के फूलों की माला
लाते हैं हम , लाते हैं हम
शुक्रगुजारी के नगमे सुनाते हैं हम …., गातें हैं हम

नज़रों सितारों बहारों का मालिक
समुंदर की लहरों , किनारों का मालिक
ये फूलों के रंग जो सजाते गुलसितान
तू रंगों तरंगों उमंगों का मालिक
कुदरत तेरी के बड़े काम
बताते हैं हम , बताते हैं हम

तू नूरे इलाही है बक्शे सया तू
गुनाहों को धो कर, बनाये नया तू
अकेला ना छोड़े है दे अपना रूह तू
जहां दो जमा हों है हाजिर वहां तू
हमद-ओ-सना के ये नारे लगाते है हम

तेरा रुतबा आला तू जिंदा खुदा है
तू ही इब्तिदा और तू ही इंतिहा है
ना तुझ सा है कोई न कोई दुआ है
ना बदले कभी तू तो यक्सा खुदा है
सजदे में तेरे जमी को झुकाते है हम
गाते है हम……..2