मैं गुनाहों में घिरा हूँ
कीजिये मुझको रिहा
रहनुमा या रहनुमा
दुःख भरे लमहात में इस शाबे जुलमात में
मुझको है नूर ए मुजस्सम बस तेरा ही आसरा
रहम उल आलमीन कोई भी तुझ सा नहीं
खाक तेरे दर की है सब के लिए खाक – ए – शिफा
और महबूब – ए – ख़ुदा कौन है तेरे सिवा
तेरा घर वो घर है जिसमें है सभी मुश्किल कुशा