तू बढ़े मैं घटूं तू दिखे मैं छिपूँ
तू ही है जिन्दगी का शज़र
तू ही आए हरसू नज़र
तेरे रूह का छाए अबर …..
तेरा किरदार चाहूँ , तुझ में मैं ढलना चाहूँ
रूह की संगत में रह के हम्द के गीत गाऊँ
मेरे जीवन की बदले डगर …….
तू ही आए हरसू नजर
नूर का मम्बा है तू नूर में चलना चाहूँ
राह हक़ और जिंदगी तू है तेरे संग रहना चाहूँ
मिटे तारीकी अब हो सहर …….
तू ही आए हरसू नज़र
मसलों को मसला तूने लानत को कुचला तूने
मौत हमेशा की थी जीवन में बदला तूने
पूरे दिल से करूँ मैं शुकर …….
तू ही आए हरसू नज़र