तू ही भरोसा मेरा ,तू ही सहारा मेरा
तेरे परों में छिपूँ ,मोहकम किला तू मेरा
निगाहें मेरी अब तुझी पर लगी है मदद मेरी अब तुझी से
मेरे पाओं को तू फिसलने न देना
मेरी हर ख़ुशी अब तुझी से
तेरे क़दमों में सर मेरा
बढ़ा हाथ अपना जरा
तेरे परों में। …… २
मंजिल है तू ही , मरकज़ है तू ही
मकसद है जीवन का तू ही
रहबर है तू ही , दिलबर है तू ही
दिल की धक धक भी तू ही
छोड़े न तू अकेला संग संग रहता सदा
तेरे परों में। ……. २
तुफानी लहरों में हाथ बढ़ा कर
मुझको संभाला है तूने
मौत के साया की वादी और भट्टी
से भी निकाला है तू ने
जान का लंगर मेरा , इब्न-ए -यहोवा मेरा
तेरे परों में। …… २