Tu KHUDAWAND KHUDA – तू ख़ुदावन्द ख़ुदा

तू ख़ुदावन्द ख़ुदा
मेरे गुण और ये लब मैं तलब ही तलब
मैं खता ही खता

तू हक़ीक़त है मैं सिर्फ़ एहसास हूँ
तू समुन्द्र है मैं भटकी हुई प्यास हूँ
मेरा घर खाक पर और तेरी रहगुजर

मेरा हर साँस तो खून निचोड़े मेरा
तेरी रहमत मगर दिल ना तोड़े मेरा
कासा ए ज़ात हूँ तेरी ख़ैरात हूँ
तू सखी मैं गदा

डगमगाऊँ जो हालात के सामने
आए तेरा तस्वुर मुझे थामने
मेरी खुशकिस्मती मैं तेरा उम्मती
तू जज़ा मैं रज़ा

दूरियाँ सामने से जो हटने लगे
जालियों से निगाहें लिपटने लगे
आसुओं की जुबां हो मेरी तरजुमां
दिल से निकले सदा

मुझको लफ्ज़ अता कर दुआ के लिए
हर्फ़ निकले जुबां से सदा के लिए
दिल से निकले सदा हर सना के लिए
दम ब दम की सदा में हो तेरी सना